Thursday, December 18, 2008

दिल्ली में हूँ

थोड़ा सा अजीब है कि मैं दिल्ली में हूँ, न? मतलब, मुझे लगता है कि कभी नहीं दूसरे देश में रहती थीं। हाँ, साफ है कि अमरीका से हूँ, लेकिन सब कुछ साधारण है। सब्जी बेचने वाले आदमी हर सुबह चिचियानों से मुझे उठाते हैं। कबूतर जो मेरे कमरे से बाहर ऐ.सी. के ऊपर रहते हैं, वे सुबह और शाम को उच्च स्वर करते हैं। कुत्ते गलियों में सोते हैं। एक बात ही नयी है--मौसम अच्छा है। बहुत लोग स्वेटर पहनते, लंबे आस्तीनों से हैं। तो, हाँ, ऐसा मौसम बहुत पसंद है! प्रदूषण यहाँ खराब है, और स्वासथ्य और श्वसन तंत्र पर चिंता हूँ। इस के अलावा, सब ठीक है।

आज का कार्यक्रम ऐसा था--डीर पार्क गयी। यही बहुत हरिण रहते हैं। कई चिड़ियाँ भी हैं। मैंने मोरों, हंसों, तोतों, वगैरह देखा। पार्क में इमारतें लोदी वंश (1451-1526) से भी हैं। काली गुमती, बाग-ई-अलम गुमबाद (मस्जिद के पास), और तैफैवाला (Tefewala) गुमबाद देखा। सबसे अच्छा इस पार्क में एकान्तता थी। मतलब किसने नहीं मुझ से बात करना कोशिश किया!

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